अकेली लड़की

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“अकेली लड़की” आर 0 के 0 लाल रात के करीब दस बजे मैं गुरुग्राम जाने वाली जिस बस में बैठी थी उसमें लड़कों का एक ग्रुप भी था । ये लड़के आपस में कभी बात, कभी इशारे और कभी कुछ अजीब से भावों का आदान-प्रदान कर रहे थे और बीच-बीच में मुझे देख भी रहे थे। बस में ज्यादा यात्री नहीं थे, इस वजह से बार-बार यही खयाल आ रहा था, कि ये लड़के मेरे साथ कुछ भी कर सकते हैं। सोचने लगी कि यदि ये लोग मेरे साथ कुछ गलत करने की कोशिश करें तो मुझे