अदृश्य हमसफ़र - 2

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आज उसे मनोहर जी की बहुत याद आ रही थी। 5 बरस पहले अचानक ह्र्दयगति रुकने के कारण मनोहर जी ममता को सदा के लिए छोड़कर चले गए थे। उनके जाने के एक महीने बाद रस्म निभाने की खातिर मायके आयी थी। ममता की दोनों भाभियों का रो रोकर बुरा हाल हो गया था। दोनो भाई न रो पाए और न चुप रह पाए। ममता उनकी मनस्थिति को बखूबी समझ पा रही थी। बड़ी भाभी कहती जा रही थी -- ममता ये सूनी मांग देखी नही जा रही। इतनी सजी धजी रहने वाली मेरी बन्नो का ये सादा रूप मेरी रूह को कचोट रहा है।