पार्क की वो बेंच

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अब मैं 70 साल का बूढ़ा हूँ, पर आज भी सुबह या शाम मैं सैर को जाता हूँ तो उस सीमेंट की बेंच पर थोड़ी देर जरूर बैठता हूँ .मैं इस शहर में 35 साल बाद लौटा था. रिटायर होकर मैं वापस अपने घर लौट आया था , उस बेंच से मुझे खास लगाव था ,क्योकि उस बेंच से मेरी जवानी की हंसीन यादें जुड़ी हुई थीं . ऐसा लगता है अभी कल की ही बात है, पर इन बातों को गुजरे 45 साल से ज्यादा हो गए. पर वो पार्क आज भी वैसा ही है . उसके