शुभ सात कदम

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जैसे ही हम पहला फेरा लेते हैं, तुम मेरी आत्मा, साथी, गृहस्वामिनी और पथ प्रदर्शक बन जाती हो। प्रजापति विवाह के ये कौल करार दिल बहलाने के लिये उम्दा हैं वरना पति, पत्नी को अपनी आत्मा या साथी तो क्या बनायेंगे स्वयं गृहस्वामी की आसंदी सम्भाल कर पत्नी का जीवन भर ऐसा पथ प्रदर्शन करते हैं कि वह भ्रमित रहती है, इस राह जाये, किस राह जाये।