मोम-बत्ती के आँसू

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ग़लीज़ ताक़ पर जो शिकस्ता दीवार में बना था। मोमबत्ती सारी रात रोती रही थी। मोम पिघल घुल कर कमरे के गीले फ़र्श पर ओस के ठिठुरे हुए धुँदले क़तरों के मानिंद बिखर रहा था। नन्ही लाजो मोतियों का हार लेने पर ज़िद करने और रोने लगी। तो उस की माँ ने मोमबत्ती के इन जमे हुए आँसूओं को एक कच्चे धागे में पिरो कर उस का हार बना दिया। नन्ही लाजो इस हार को पहन कर ख़ुश होगई। और तालियां बजाती हुई बाहर चली गई।