माँ के चेहरे पर धूप की चिड़िया फुदक रही है, मन नही मन ढेरों मन्सूबे बनाती माँ बेटियों के बीच उदारमता हो रही है। इतनी कोमल और मीठी आवाज में माँ को ये पहली बार सुन रही है। पूर्वी माँ का लगातार निरीक्षण करने पर तुली है, बीच मं उसे ऐसा सोचना नागवार भी लगता है। धत! माँ का भी कोई निरीक्षण करवाता है माँ तो माँ होती है बस्स... उसके बारे में इस तरह की सोच उसे कटघरे में खड़ा करती है। कल माँ ने अपनी सभी बेटियों को बुला लिया था, खबर ही ऐसी थी जिस पर खुशी मनाई जाये।