आलमारी

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*वो पुरानी लकड़ी की आलमारी* वो पुरानी लकड़ी की आलमारी ,,,आज भी उस पुराने कमरे मे जो वैसा का वैसा ही है, उसके एक कोने में धरी की धरी है । नए कमरे बन गए । सब लोग नई जगह में, नए रंगरोगन से सजे कमरों  में, बड़े बड़े पलंग  और गद्दों में रहने लगे हैं ,पर वो आलमारी स्टोर के उस पुराने कमरे में अपने सीने मे हमारी जरूरत का सामान समेटे वैसी ही खड़ी है।     जब मैं छोटा था तब उसके ऊपर के हिस्से को नही देख पाता था  ,तब पिता की गोद मे मचलता था और