माँ, तुझपे लगा ये कलंक....

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घर में शादी का माहौल चल रहा था। पूरा घर सजा था। महेमनो और ढोल नगाड़े की आवाज़ से घर गूंज रहा था। चूल्हे की आग पे पक रहे खाने की खुशबू पूरे गाँव मे फैल गई। आँगन में दुल्हन की हल्दी की रस्म चल रही थी।ज़री वाली मलमल की साड़ि पहनके नाचती औरतों के बीच हल्दी लगाए बैठी सुमन आँखों से बहते आँसू को काजल के पीछे छुपा कर हँसने की कोशिश कर रही थी। इस भीड़ में उसकी साँसे खो रही थी।घुटन को सीने में दबाकर वह लोगो से बातें करने की कोशिश कर रही थी।हल्दी खत्म हुई।