घर में मेरे सिवा कोई मौजूद नहीं था। पिता जी कचहरी में थे और शाम से पहले कभी घर आने के आदी न थे। माता जी लाहौर में थीं और मेरी बहन बिमला अपनी किसी सहेली के हाँ गई थी! मैं तन्हा अपने कमरे में बैठा किताब लिए ऊँघ रहा था कि दरवाज़े पर दस्तक हुई उठ कर दरवाज़ा खोला तो देखा कि पारबती है।