अप्सरा से शादी

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  निकल जाओ रूपा। देवराज इंद्र ने रूपा अप्सरा को श्राप देते हुए कहा। तुम्हारा मन स्वर्ग के कार्यों में नहीं लगता। जाओ आज से तुम पृथ्वी लोक में रहोगी। देवराज इंद्र मुझे क्षमा कर दीजिए। रूपा ने अनुुुनय करते हुए कहा। इंद्लेेे थोड़ा पसीजे। बोले ठीक है लेकिन 1000 वर्षों तक तुम पृथ्वी पर ही रहोगी ।रूपा ने राहत की सांस ली। रूपा स्वर्ग लोक की रूपवती, गर्वोन्मत, विदुषी अप्सरा थी। क्षणभर में ही वो पृथ्वी वासियों जैसे कपड़ों में पृथ्वी के सुजानपुर गांव में थी।   गांव के ठाकुर रणवीर अपनी जीप में वहां से गुजर रहे थे। वे रूपा से