उन्नति ने नहीं सोचा था फेस बुक पर रक्षा मिलेगी। उन्नति का मन यॅूं भी भटका सा रहता है। जब से बेटी की शादी हुई, बेटा आई.आई.टी. करने खड़गपुर गया वह मानो लैप टॉंप पर अपने मन को भटकने के लिये आजाद हो गई है। लेकिन नहीं सोचा था फेस बुक पर रक्षा मिलेगी। दोनों में खास दोस्ताना नहीं था पर बरसों बाद ....... अचानक, कोई अल्प परिचित भी मिल जाये तो अजीज सा लगता है। उन्नति ऐसी आल्हादित हुई जैसे कब की बिछुड़ी रक्षा आज मिली है। लगा समय बहुत बीत गया है पर उसके भीतर दो चोटी वाली कालेज छात्रा आज भी मौजूद हैं। पॅूंछा —