पृथ्वी पर समस्त जीवों मे मानव प्राणी सबसे ज्ञानी और उत्तम प्रकृति का है तथा मनुष्य मानव सभ्यता के शुरूआत से ही अपने जीवन जीने से संबंधित साधनो को जुटाने के लिये संघर्ष करता चला आ रहा है। कहीं न कहीं पिछले कई वर्षों में वह प्रकृति से अप्रत्यक्ष रूप में सामना करता चला आ रहा है और उसके साधनो का किस प्रकार प्रयोग किया जाये इसके बारे मे निरन्तर प्रयास जारी रहा है। समस्त जीव जन्तु और मानवी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिये मात्र प्रकृति ही है जो इसे पूरा करती आ रही है तथा प्रकृति के विभिन्न तत्वों