हवाओं से आगे - 20

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उत्तरा उसके पीछे-पीछे लगभग खिंची चली जा रही थी “या अल्लाह... वो सिर पकड़कर नीचे बैठ गया था । उत्तरा कुछ समझ पाती इससे पहले वह लपककर खड़ा हुआ था और उसे लेकर दौड़ता हुआ पास के एक घर में दाखिल हो गया था । उसके माथे पर लगभग आधा सेंटीमीटर का घाव उभर आया था । “बाहेर कर्फ्यू लगा है मेम जी, यहीं रुकना होगा, में शाम को हालात देखूंगा तबी न आपको छोड़ आऊंगा होटल ।” “उफ्फ ...कितनी गलत हिंदी बोलते हो ?” उत्तरा चिढ-सी गयी थी ।