आनंद और गौरव आपस में वार्तालाप करते हुए कहते है। हमने अपने अभी तक के जीवन में बहुत आनंद उठाया है और हमें अब इससे विरक्ति महसूस होने लगी है। जब पूर्ण संतुष्टि आ जाती है तो मन के भावों में परिवर्तन आने लगता है। पल्लवी और आरती के व्यवहार ने हमारे दिलों को बहुत ठेस पहुँचायी है। यदि हम अपने मन और हृदय में चिंतन करें तो यर्थाथ के धरातल पर उन दोनों का कहना सही है। उन दोनो ने हमें मझधार में छोड दिया इसी समय राकेश भी उन्हें खोजता हुआ आ जाता है और पूछता है कि