लाजवन्ती

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लाजवन्ती मैं तो अपनी बेटी को डॉक्टर बनाऊँगा, नमिता के पेट पर हाथ फिराते हुए राजेन्द्र ने कहा, और अगर बेटा हुआ तो, नमिता ने अपने पेट को दोनों हाथों का सहारा देते हुए पूछा, बेटा हुआ तो उसको भी डॉक्टर ही बनाऊँगा, बड़ा डॉक्टर बनकर मेरी क्लीनिक वो संभालेगा। राजेन्द्र व नमिता की बातें अभी चल ही रही थी कि राजेन्द्र ने अचानक घड़ी की तरफ देखा, साड़े बारह बज चुके थे, सुबह उठकर क्लीनिक भी खोलना था और नमिता को जांच के लिए भी जाना था। रात बहुत हो गयी अब सोना चाहिए और इतना कहकर राजेन्द्र ने