ख़्वाबगाह - 8

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ख़्वाबगाह में जब मैंने पहली बार सारी घंटियां बजती सुनीं तो मेरी सांस एकदम तेज हो गयी थी। मैंने बेशक दुल्हन की तरह भारी गहने और साड़ी वगैरह नहीं पहने थे लेकिन मेकअप और पहनी हुई लाल साड़ी में मैं किसी दुल्हन से कम नहीं लग रही थी। गहनों का सेट पहना ही था। मुझे सचमुच यह अहसास हो रहा था कि ये मेरी सुहाग रात है। बेशक विनय मेरा पति नहीं था। मैं अपने दोस्त का अनुरोध मान कर यह बाना धारण करके खड़ी थी। दुनिया का आठवां अजूबा घट रहा था। शादी के बाद दोस्त के साथ सुहाग रात। पति के होते हुए।