ठाकुर की थाली

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मलकु सवेरे-सवेरे ही आकर रघु काका के दरवाजे की सांकल बजाते हुए चिल्लाया - " उठो काका, आज ठाकुर ने उमा को शहर से बुलवाया है। "रघु काका का बेटा उमा शहर में सरकारी विभाग में अफसर था और वहीँ परिवार के साथ अपने सरकारी आवास में रहता था। उमा रघु काका को भी शहर चलने को बोलता । पर काका को तो अपने गांव की ही सूखी रोटी भली लगती । गांव के मुखिया ठाकुर बाबु का कोई सरकारी काम  होता तो वो उमा को अक्सर गांव बुलवाते। और रहने का इन्तजाम भी वहीँ कर देते थे। " वो ठाकुर