अब राकेश ऐसा कोई भी मौका नही छोडता है कि जब मानसी को लगे कि वह अकेली है और कोई उसके साथ नही है। धीरे धीरे समय बीतता है और मानसी के दिमाग में राकेश की चाहत के कारण बलात्कार के कारण बैठा हुआ डर धीरे धीरे समाप्त होने लगता है और उसका राकेश के प्रति प्रेम भाव जाग्रत हो जाता है। एक दिन राकेश मौका और समय देखकर उसको एकांत में बाहों में लेकर उसका चुंबन लेकर अपने प्यार का इजहार करता है। मानसी भी आँख बंद करके उसकी बाँहों में कसकर लिपट जाती है और उसके प्यार को