अँधेरे में जुगनू - 1

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घर से निकलते समय उसने एक बार भी नहीं सोचा। तूफान का मुकाबला करने की ताकत नहीं थी उसमें। पति ने मारपीट की- बच्चों के सामने! ग्लानि हुई! रोज़-रोज़ गाली-गलौज़, मारपीट... तंग आ गयी थी। वह ऐसी ज़िन्दगी से। ऐसे जीने से तो अच्छा है कहीं ट्रेन के नीचे आ जाए या नदी-पोखर में डूब मरे। आँखों में समंदर था, खारे पाने से भरा जिसे वह जबरन रोके हुए थी। सड़क पर चलते लोगों के बीच वह तमाशा नहीं बनना चाहती थी।