भव्यता में भयावहता भी होती है

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कॉंल बेल की घ्वनि सुन माधुरी बाहरी बरामदे में आई। शुक्ला प्रणामी मुद्रा में तैनात मिले — ‘‘मैडम, मैं शुक्ला। टी.सी. । आप और डॉंक्टर साहब जबलपुर जा रहे थे। मैं ए.सी. कोच में ड्‌यूटी पर था।' आरम्भिक द्विविधा के बाद माधुरी ने पहचान लिया — ‘‘आइये।'