गोरिया चुरवलू दिलवा मोर हो

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स्नेही पाठकों, केहू सच ही लिखले बाटे कि प्यार बा त जग में बहार बा,प्यार बिना जिंदगी बेकार बा। वोही प्यार के बारिश में भीगल कुछ पंक्ति प्रस्तुत बाटें.... १-"गोरिया चुरवलू दिलवा मोर हो" सांवरी सुरतिया बा, मोहनी मूरतिया, रसवा भरल पोर पोर हो, गोरिया चुरवलू दिलवा मोर हो।। कनवाँ में बाली, ई होठवा पे लाली, लचके कमरिया जैसे, अमवा की डाली, रूप के खजाना कहवाँ पवलू तू गोरिया, मनवाँ भयल मोर चोर हो, गोरिया चुरवलू दिलवा मोर हो।। अठरह सवनवां के, बाटी जवनियां, जइसे हिलोर मारे, नदिया के पनियां, बिजली गिरवलस, मधुर मुसकनियाँ, अगिया लगवलू चहुँ ओर