हिम स्पर्श - 72

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72 “रुको। बस यहीं। यह जो चोटी दिख रही है न, बस यहीं पर। बस यहीं से मैंने जीवन जीना खो दिया था।” जीत ने हिम से ढँकी पहाड़ी की तरफ संकेत किया। “तो यह है वह पहाड़ी? क्या नाम होगा इसका?” वफ़ाई ने पहाड़ी की तरफ देखते देखते कहा। वह अभी भी पहाड़ी की ऊंचाई और फैले हुए हिम को देख रही थी। वफ़ाई को उस पहाड़ी ने चुंबक की भांति खींच रखा था। वह उसे देखती रही। “चोटियों के नाम नहीं हुआ करते। यहाँ इसे नंबर से जाना जाता है। तुम इस चोटी को इस तरह