नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कई घंटों से कमलेश माथुर बैठा हुआ था, अपने गंतव्य की ओर जानेवाली ट्रेन का इंतज़ार करता हुआ। बाकी दिनों की ही तरह उस दिन भी नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर गहमा-गहमी जारी थी। शाम से ही कमलेश इधर-उधर टहलता हुआ अब थक गया था। दुनिया भर की आवाज़ें और भागमभाग से वह आजिज़ आ चुका था। वह सोचने लगा…प्लेटफॉर्म पर आकर सिर्फ़ कुछ देर के लिए बैठो, कहीं मत जाओ।