ख़्वाबगाह - 3

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उसके बाद से विनय के तीस चालीस फोन और इतने ही मैसेज रोज आते हैं। मिलने के लिए न वह आया है और न मैं ही खुद उसके पास जाने की हिम्मत जुटा पायी हूं। उसका फोन मैंने एक बार भी नहीं उठाया है। गलती उसकी है। वह भी छोटी-मोटी नहीं, बिना बात के बतंगड़ बना देना औेर मेरे ही घर पर आ कर नौकरानी के सामने मुझे दो थप्पड़ मार देना। अब भी सोचती हूं तो मेरी रूह कांप जाती है। विनय आखिर ऐसा कर कैसे गया।