मुझे सजा ना दो - भाग 2

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दिमाग को झटका लगा ___अब आगे, कहीं ये वो तो नहीं जब हम सदर बजार मे रहते थे, मैं उस वक़्त जमीन पर बेठा , था सामने दिवार से सटी सहमी डर से कांपती मट्टी के तेल में भीगी हुई, खाट पर सिख युवक बेठा हुआ है एक हाथ में माचिस एक में कुछ कागज थे, जमीन पर लुङकती खाली बोतल, कुछ वक़्त मेरी ओर निहारना और फिर हस्ताक्षर कर देना, कहीं ये वो तो नहीं?जो खाट के एक ओर खङी जहरीले अंदाज में मुस्कुरा रही थी, मैं बङे भाई के साथ उन दिनों स्कुल की छुट्टियाँ में कश्मीर घूूूूमने गया