अफसर का अभिनन्दन - 6

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दुनिया के मूर्खों एक हो जाओ यशवन्त कोठारी बासंती बयार बह रही है। दक्षिण से आने वाली हवा में एक मस्ती का आलम है। फाल्गुन की इस बहार के साथ-साथ मुझे लगता है मूर्खों, मूर्खता और तत्सम्बन्धी ज्ञान का अर्जन करने का यह सर्वश्रेष्ठ मौसम है। कालीदास हो या पद्माकर या जयदेव या निराला सभी ने बासंती ऋतु पर जी भर क प्रियों का याद किया है। मधुमास बिताया है । व्यंग्यकार का प्रिय विषय तो मूर्ख और मूर्खता है, अतः आज मैं मूढ़ जिज्ञासा करूंगा। पाठक कृपया क्षमा करें । सर्वप्रथम मूर्ख या मूढ़ शब्द को