ख़्वाबगाह - 1

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एक बार फिर विनय का फोन। अब तो मैं मोबाइल की तरफ देखे बिना ही बता सकती हूं कि विनय का ही फोन होगा। वह दिन में तीस चालीस बार फोन करता है। कभी यहां संख्या पचास पार कर जाती है। और इतनी ही संख्या में व्हाट्सअप मैसेज। पहले बीच-बीच में मैं उसके मैसेज पढ़ लेती थी लेकिन जब देखा कि वही मैसेज कॉपी पेस्ट करके हर दिन और हर बार रिपीट किये जा रहे हैं और उनमें अपनी हरकत के लिए माफी मांगने के अलावा कुछ नहीं होता तो मैंने वे संदेश पढ़ने भी बंद कर दिये हैं।