घरोंदा - कहानी -

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#MORAL STORIES घरोंदा - कहानी - "रवि, आज तीन तारीख हो गयी। तुम माँ को लेने नहीं आये? महीना खत्म हुए तीन दिन ऊपर हो गये।तुम हर बार ऐसे ही करते हो|" "भाई साहब, मैं अभी सरकारी काम से दिल्ली में हूँ। दो तीन दिन और लगेंगे।" "मुझे मालूम है कि तुम बहुत बड़े राजपत्रित अधिकारी हो। लेकिन मुझे इस का रौब दिखाने की जरूरत नहीं है। मैं भी सरकारी अधिकारी हूँ।" "अरे भैया, मैंने तो ऐसा कुछ कहा भी नहीं। मैं आते ही तुरंत माँ को ले जाऊंगा।" "हम दोनों आज रात कुंभ स्नान के लिये जा रहे हैं।