छूटी गलियाँ - 18

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नेहा कितना मुश्किल भरा था आज का दिन। आज का दिन ही क्या पिछले कुछ दिन अजीब सी उहापोह में गुजर रहे हैं। हर दिन क्या करें, कैसे करें, क्या होगा की बैचेनी। परिस्थितियाँ तो अभी भी जस की तस हैं लेकिन फिर भी आज सुकून सा है मानों कुछ हासिल कर लिया हो मैंने। अब हासिल किया या गँवाया ये तो वक्त ही बताएगा।