मंज़ूर

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जब उसे हस्पताल में दाख़िल किया गया तो उस की हलात बहुत ख़राब थी। पहली रात उसे ऑक्सीजन पर रखा गया। जो नर्स ड्यूटी पर थी, उस का ख़्याल था कि ये नया मरीज़ सुब्ह से पहले पहले मर जाएगा। उस की नब्ज़ की रफ़्तार ग़ैर यक़ीनी थी। कभी ज़ोर ज़ोर से फड़फड़ाती और कभी लंबे लंबे वक़्फ़ों के बाद चलती थी।