ब्रेनफीवर

(14)
  • 4.8k
  • 4
  • 1.6k

वह रसोई से बाहर निकली, आखिरी काम समेट, पल्लू से चेहरे का पसीना पोंछती। घर से लगे उसके पति के दफ्तरनुमा कमरे में आ गई। उसकी दुर्बल, छोटी देह संकोच उत्सर्जित कर रही थी। बड़ी-बड़ी आँखों में तरलता और नाक पर दृढ़ता थी। होंठ सदा की तरह मुस्कुराते हुए भी उदास थे। उसने मेरे आगे पानी की बॉटल सरका दी। वह मुझे गौर से देखने लगी, क्या देख सकी वह? फाईलों में डूबा तटस्थ चेहरा? मेरे हाथ में सिगरेट, भृकुटि पर तनाव सा था, मगर उसे ताकते देख मैंने वह तनाव तहा कर बगल रख दिया और कोशिश कर मुस्कुराई।