लगभग

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उम्र का तकाजा देखो साहब, लगभग सब पर भारी पड़ता है ।कामदेव के तुनीर मैं शायद यह सबसे प्रबल तीर है। जो प्रत्यंचा पर चढ़ने के बाद किसी का भी मोह भंग करने में पूर्णतय: सक्षम है। इसी परिस्थिति एवं परिवेश से ग्रसित बेचारे सज्जन पुरुष,वक्त की ऐसी दहलीज पर खड़े थे, जिधर एक तरफ कामोन्माद जिजीविषा प्रेम में परिणित होने को तत्पर थी, तो दूसरी तरफ आत्म चिंतन से जद्दोजहद चल रहा था। कई दिनों के इस महासंग्राम के पश्चात, उन सज्जन पुरुष के ललाट पर हर्ष एवं विजय की छटा दिखाई पड़ रही थी। देखने से ऐसा प्रतीत