हवाओं से आगे - 3

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रामप्यारी की उस घर में किसी को जरूरत नहीं थी, हाँ मगर उसका होना फिर भी सबके लिए जरूरी हो चला था भयंकर बारिश में टपकती छत से सीली हो उठी दीवारें जब ठंड से सिकुड़ने लगती है तो अपने भीतर ज़ज्ब हो चुकी कांपती नमी से बचने के लिए किसी बाहरी आवरण की तलाश करती हैं अम्मा की स्थिति उस घर के कबाड़खाने में पड़े उसी फटे-टूटे त्रिपाल की मानिंद हो चुकी थी जिसे जरूरत पड़ने पर रफू करके घर की निरंतर कमज़ोर होती आर्थिक स्थिति पर तान दिया जाता था और जरूरत ख़त्म होने के बाद फिर उसी अँधेरे कबाड़खाने में पटक दिया जाता था अम्मा ने एक भरी-पूरी उम्र गुज़ारी थी ।