आधी नज्म का पूरा गीत - 22

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अमृता के जहन पर जो साए थे वही उसकी कहानियो में ढलते रहे..उसकी कहानी के किरदार बनते रहे.चाहे वह शाह जी कि कंजरी हो या जंगली बूटी की अंगूरी..या फ़िर और किरदार.अमृता को लगता कि उनके साथ जो साए हैं वह आज के वक्त के नहीं हैं पता नही किस काल से, किस वक्त से हैं वह ख़ुद बा ख़ुद कहानी के कविता के किरदार बनते चले गए.कई बार ऐसा होता है की हमारे आस पास कई छोटी छोटी घटनाएँ घटित होती रहती है और उनको हम जैसे उनको चेतन मन में संभाल लेते हैं.