अल्फाज़ अनकहे से...

(29)
  • 10.5k
  • 6
  • 1.7k

अल्फाज़ अनकहे से.... "बाबू! उठिए, देखो सुबह हो गई है। लो, चाय पीलो।" - अनन्या ने अभिषेक से उसकी रजाई खींचते हुए कहा। अनन्या अभिषेक के नौकरानी की बेटी थी, वह अभिषेक की हमउम्र थी। उसका काम सुबह की सिफ्ट मे अपनी माँ की जगह वर्तन धोना और घर की साफ़ सफाई का काम करना था। "अरे! अन्नू तू भी न सोने भी नहीं देती। इसके लिए तो मेरे पैरेंट्स ही काफी है। तू तो कम से कम रहम कर दिया कर। चल रख टेबल पर और तू जा।" - अभिषेक ने रजाई से मुँह निकालते हुए और अंगड़ाई लेते हुए कहा। उसके चेहरे पर धूप पड़ रह