बुजुर्गों के फायदे

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बुजुर्गों के फायदे आर0 के0 लाल मुझे निर्मल के साथ कहीं जाना था। जब उसके घर पहुंचा तो अंदर से तेज तेज लड़ने की आवाजें आ रहीं थी और निर्मल के माता पिता बाहर बैठक में मुंह लटकाए बैठे थे। मेरे पहुंचते ही आवाज तो बंद हो गई परंतु उनकी माता जी ने अपना दुखड़ा रोया- “बहु किसी ना किसी बात को लेकर हम दोनों परानी को खरी-खोटी सुनाती रहती है। कहती है हम दोनों वक्त की रोटी मुफ्त में तोड़ रहे हैं, ना काम ना धाम। निर्मल भी कुछ नहीं बोलता, इसी बात पर घर में कोहराम मचा है।