रक्षा बंधन

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सात साल की नन्ही सुबह से ही जिद कर रही है कि इस बार राखी कान्हा की मूर्ति को नहीं कान्हा को ही बाँधेगी, तभी कुछ खाएगी। उसकी माँ सरला पहले तो हँसने लगती हैं फिर नन्ही को समझाती हैं कि मूर्ति में ही साक्षात् भगवान बसते हैं इसीलिए मेरी प्यारी गुडिया जिद नहीं करते जल्दी से राखी बांधकर खीर-पूरी खा ले।” मगर नन्ही की वही जिद की राखी तभी बाँधेगी जब कान्हा स्वयं आएंगे। वरना कुछ नहीं खाना है। सात साल की नन्ही का कोई भाई नहीं हैं। अभी कुछ वर्ष पहले पिता की दिल का दौरा पड़ने से