रेचल ने देखा है कई बार औरतें ग़लत आदमी का चुनाव कर लेती हैं और फिर ज़िन्दगी भर अपमान के घूँट पीती हुयी मरती रहती हैं तिल-तिल कर के. लेकिन यहाँ तो माजरा ही कुछ और है. सविता के लिए रमणीक एक टिकेट है बेहतर ज़िन्दगी का. उस ज़िन्दगी का जो एक जगह ठहर गयी है. मर्द के न होने से. आर्थिंक आधार पर भी और शारीरिक ज़रूरतों के मद्देनज़र भी. उसे रमणीक में अपना उद्धारक नज़र आता है.