रात के ११बजे - भाग - 7

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या तो सीरियल देख रहे होते हैं या फिर वे फिल्में देखते हैं। आज के प्रतिस्पर्धात्मक व्यापारिक युग के चैनल जो सीरियल दिखाते हैं वे भावनाओं को भड़काने वाले होते हैं वरना उन्हें कौन देखेगा। जो फिल्म दिखलाई जाती हैं वे प्रायः हिन्सा और वासना पर आधारित होती हैं। इनमें हिंसा और वासना का वीभत्स रुप ही परोसा जाता है। परिणाम स्वरुप बच्चों में भी हिन्सात्मक और वासनात्मक विचारों, चेष्टाओं और आकांक्षाओं की जड़ें फैल जाती हैं जो आजीवन उनके साथ रहतीं हैं। जब इनकी पूर्ति नहीं होती तो हीनताबोध आता है। वे मानसिक बीमारियों का शिकार हो जाते हैं।