तपते जेठ मे गुलमोहर जैसा - 18

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अप्पी को डायरी लिखने की आदत थी ... अपनी एहसासात वह डायरी में दर्ज करती रहती थी ..... कभी किसी मुझे में त्वरित उठे विचारों को नोट कर लेती कि बाद में कुछ भूल न जाये। कम से कम लिखने की निरन्तरता तो बनी रहती थी। पर उसका मन रिक्त हो गया था ये जानकर कि उसके पीछे उसकी डायरी .... उसके पत्रों ... कागजो की खोद बीन की जाती है। वह लिखते -लिखते ... सब छोड़ उठ जाती थी ... पर कोई भी मम्मी पापा, भाई बहन ...