ईनाम

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बात लगभग अस्सी के दशक की है . जितने में आजकल एक कप आइसक्रीम मिलता है , उतने में उनदिनों एक किलो चावल मिल जाया करता था. अंगिरस 6 ठी कक्षा का विद्यार्थी था. उसके पिताजी पोस्ट ऑफिस में एक सरकारी मुलाजिम थे. साईकिल से पोस्ट ऑफिस जाते थे. गाँव में उनको संपन्न लोगो में नहीं , तो गरीब लोगो में भी नहीं गिना जाता था. अंगिरस इतना बड़ा तो नहीं था , पर इतना छोटा भी नहीं था कि अपने पिताजी की माली हालत को न समझ सके. अपने पिताजी को सुबह सुबह उठकर पोस्ट ऑफिस जाते देखता .