बर्फ़ का पानी

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“ये आप की अक़ल पर क्या पत्थर पड़ गए हैं” “मेरी अक़ल पर तो उसी वक़्त पत्थर पड़ गए थे जब मैंने तुम से शादी की भला इस की ज़रूरत ही क्या थी अपनी सारी आज़ादी सल्ब कराली।” “जी हाँ आज़ादी तो आप की यक़ीनन सल्ब हूई इस लिए कि अगर आप अब खुले बंदों अय्याशी नहीं कर सकते शादी से पहले आप को कौन पूछने वाला था जिधरो मुँह उठाया चल दिए झक मारते रहे”