थकी जिन्दगी बुढ़ापा आने पर एक बात की खुशी होती है कि हम मृत्यु के नजदीक पहुँच गये होते हैं। दाँत गिरना, बाल झरना, आँख में मोतियाबिन्दी होना, शरीर के जोड़ों में दर्द होना, रह रह कर चिड़चिड़ाना आदि बातों तक बुढ़ापा अपने आने की सूचना देता रहे तो ठीक है, पर जब शरीर को खंडहर समझ कर मृत्यु चमगादड़ की तरह मंड़राने लगे तो ऐसा लगता है कि मृत्यु यातनाओं और पीड़ा का मुखौटा पहनकर जीवन का मखौल उड़ा रही है। मृत्यु के इन आघतों से शरीर व आत्मा पहले ही टूट जाती हैं और जीवन का