अच्छाईयां – ९

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भाग – ९ गुलाबजामुन का नाम लेते ही छोटू के चहेरे पर अलग सी मुश्कुराहट छा गई थी | वो कुछ कहने ही वाला था तभी सामने रेलवे स्टेशन पर ट्रेन आने की व्हिसल बजी तो उसने अपनी बात बदल दी और वो बोला, ‘अभी मेरे धंधे का वक्त हो गया है.... मैंने तुम्हारा ये तुनतुना बजानेवाला स्टाइल देखा अब तु मेरा स्टाइल देख |’ वो कुछ दिखाने जा रहा था | छोटूने अपने पायजामे की जेब से एक कोयला निकाला और उसको अपने हाथ पे रगड़कर फिर अपने हाथो को चहेरे पर कही कही जगह पे लगाने लगा, वो