डायरी.

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होटल पार्क इन के पार्किंग में पार्क हुई गाड़ियां कम हो रही थी, सभी टेबल धीरे धीरे खाली हो रहे थे, बादल छा गए थे, आज ठंड थोड़ी ज्यादा थी। ईवन बार के पास भी इक्का-दुक्का लोग ही खड़े थे और ड्रिंक का मजा ले रहे थे । मेघना आज 5 साल के बाद आई थी खुद के शहर में एक अजनबी की तरह और उसी टेबल पर बैठी थी जहां कभी वह अधीर के साथ बैठती थी। अधीर कोई खास हैंडसम नहीं था। छरहरा सामान्य दिखने वाला लड़का था, पर कुछ खास था उसमें जो उसे असामान्य बनाता था