अनीता ने समझाते हुए कहा कि जीवन में सब कुछ किसी को नहीं मिलता। सुख और दुख जीवन के दो पहलू हैं जिनके बीच हमें सामन्जस्य करना ही होता है। हम भावनाओं को प्रतिबंधित नहीं कर सकते। हमारे मन व मस्तिष्क में विचारों का आना-जाना लगा रहता है। इससे विचारों में परिपक्वता आती है। भावनाओं को नियन्त्रित करना कठिन होता है। ये वायु के समान तेजी से आती हैं और आंधी के समान चली जाती हैं। यही जीवन है। भावनाओं और विचारों की समाप्ति जीवन का अन्त है। हम भावनाओं की गति को कम कर सकते हैं। परन्तु इन्हें पूरी