हिम स्पर्श- 56

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56 वफ़ाई लौट आई। झूले पर बैठ गई। एक स्वप्न, उस स्वप्न का चित्र जो जीत ने रचा था, वफ़ाई को विचलित कर रहा था। स्वप्न तथा उस के चित्र के संकेतों को समझने का प्रयास कर रही थी। अपने विचारों से, अपने प्रश्नों से वफ़ाई संघर्ष कर रही थी। मुझे याद करना होगा मेरे स्वप्न के प्रथम क्षण से अंत तक। वफ़ाई के मन में पूरा स्वप्न पुनरावर्तित हो गया। इस स्वप्न एवं इस चित्र में कोई अंतर नहीं है। दोनों एक ही है इसमें कोई संशय नहीं है। मुझे जीत के लौटने की प्रतिक्षा करनी होगी। जीत, स्वप्न