बग़ैर इजाज़त

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नईम टहलता टहलता एक बाग़ के अन्दर चला गया उस को वहां की फ़ज़ा बहुत पसंद आई घास के एक तख़्ते पर लेट कर उस ने ख़ुद कलामी शुरू कर दी। कैसी पुर-फ़ज़ा जगह है हैरत है कि आज तक मेरी नज़रों से ओझल रही नज़रें ओझल इतना कह कर वो मुस्कुराया नज़र हो तो चीज़ें नज़र भी नहीं आतीं आह कि नज़र की बे-नज़री! देर तक वो घास के इस तख़्ते पर लेटा और ठंडक महसूस करता रहा। लेकिन उस की ख़ुद-कलामी जारी थी।