बदलने की जरूरत

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बदलने की जरूरतआर 0 के0 लाल घंटी की आवाज सुनकर दरवाजा खोलने पर मैंने देखा कि मेरे एक सहकर्मी खड़े है। उन्होंने कहा “आज रविवार है, सोचा आप घर पर ही होंगे, चलकर आपका हाल-चाल पूंछ आए।” वैसे तो मुझे बहुत आश्चर्य हुआ कि जो व्यक्ति बिना किसी काम के किसी को नमस्ते नहीं करता आज क्यों मेरे सुख दुख में हिस्सा लेने मेरे घर आ गया है। फिर भी मैंने उन्हें अपने ड्राइंग रूम में बैठाया। बहुत देर तक वे गुमसुम बैठे रहे और मैं उनके लिए नाश्ते की व्यवस्था करता रहा। छुपाने का अथक प्रयास करने के बावजूद भी