तपते जेठ मे गुलमोहर जैसा - 11

  • 4.7k
  • 2
  • 1.7k

नीरू ने अप्पी को देखकर उत्साह दिखाया।टूर की बाते पूछीं ..... क्या-क्या शाॅपिंग की ... क्या - क्या देखा। कुछ ही देर अप्पी का मन उकता गया .... जी चाहा अभी उठ कर यहाँ से इस भीड़ भाड़ हज हज से ... इस घर से भाग खड़ी हो.... अच्छा नीरू दी ... मैं सोने जा रही हँू ..... शाम को बात करेंगे ..... ’’ कहकर वह उठ गई। भन्नाई हुई ही वह ऊपर कमरे में पहुँची। जाने कैसी चिड़चिड़ समा गई सुविज्ञ को अपने कमरे में देखकर।